Cars with manual gearbox will be discharged
बिजनेस डेस्कः ऑटोमोबाइल्स के लोगों के लिए मैनुअल गियरबॉक्स वाली गाड़ियां उनकी पसंदीदा हो सकती हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को एक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली गाड़ी में मिलने वाला आराम कहीं ज्यादा लुभाता है। इसलिए इसमें बहुत आश्चर्य नहीं है कि दुनियाभर के बाजार में मैनुअल गियरबॉक्स की गाड़ियां बंद हो रही हैं और शायद अमेरिका में यह सबसे तेजी से हो रहा है। CNBC द्वारा पेश किए आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका में 327 नए वाहनों में से सिर्फ 41 में अब मैनुअल ट्रांसमिशन का ऑप्शन मिलता है। इसका मतलब यह है कि देश में लॉन्च होने वाली अधिकतर नई कारों में मिलने वाले ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन को खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यहां पर ध्यान देने वाली एक और दिलचस्प बात यह है कि देश में 2019 में मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री अधिक हुई है। अमेरिका और कई अन्य पश्चिमी बाजारों में मैनुअल गियरबॉक्स की वाहनों की बिक्री में गिरावट का यह रुख नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें तेजी आई है। यह काफी हद तक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के पीछे की तकनीक में लगातार सुधार के कारण हुआ है जिसने कमियों को कम करने के साथ-साथ माइलेज की समस्या को भी कम किया है। वे दिन लद गए हैं जब एक ऑटोमैटिक कार में तथाकथित रबर-बैंड इफेक्ट से मूड खराब होता था। अब तो नई पीढ़ी के ऑटोमैटिक गियरबॉक्स में मैनुअल गियकबॉक्स की तुलना में उतना ही पावर देते हैं। और कई बार तो उनसे ज्यादा बेहतर साबित होते हैं। यह थोड़े आश्चर्य की बात है जब कुछ पावरफुल और आकॉनिक कारों के निर्माता एक मैनुअल ट्रांसमिशन का ऑप्शन देना जारी रख रहे हैं, जो कि एक खास उच्चक्रय शक्ति के ग्राहकों को लक्षित होता है, वहीं अन्य ऑटो निर्माता इससे दूरी बना रहे हैं। इस ट्रेंड के भारत में पहुंचने के बहुत ज्यादा संभावना है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा कार निर्माता अपनी कारों में एक या दूसरे तरीके से ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का विकल्प पेश कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर मारुति सुजुकी के मामले को ले सकते हैं। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी अपनी कारों में तीन तरह के ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन - AGS (ऑटो गियर शिफ्ट) (एजीएस), CVT (कंटीन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन (सीवीटी) और AT (ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन) (एटी) प्रदान करती है। और सिर्फ पांच वर्षों में, कंपनी ने ऑटोमैटिक ऑप्शन वाले छह लाख वाहन बेचे हैं। हालांकि ऑटोमैटिक ऑप्शन वाली कारें मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों की तुलना में महंगी होती हैं, लेकिन कीमतों में अंतर लगातार कम हो रहा है। भारत ऑटोमोबाइल बाजार में कार खरीदते वक्त माइलेज पर बहुत ध्यान में रखा जाता है। और मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों जैसी ही ईंधन दक्षता के वादे ने ऑटोमैटिक कारों के लिए बहुत ही अनुकूल संभावना पैदा कर दी है। हालांकि, भारत में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों के लिए सबसे बड़ा कारक, यहां की पतली और खचाखच भरी सड़कें हो सकती हैं, जो अक्सर बुरे ट्रैफिक की स्थिति पैदा करती हैं। ऐसे में, ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन उन लोगों के लिए एक राहत पहुंचा है जो कार खुद ड्राइव करना पसंद करते हैं। इस प्रकार, अलग-अलग अनुपात और क्षमताओं का लगभग हर बड़े बाजार वाला देश अब तेजी से ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली गाड़ियां पेश कर रहा है। भले ही मैनुअल ट्रांसमिशन की गिरावट बहुत तेजी से या अचानक नहीं हो, लेकिन माना जा रहा है कि ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली गाड़ियों को बढ़ने से रोका नहीं जा सकता। (साभार अमर उजाला)