इंडिया न्यूज़ सेंटर, इलाहाबाद। अपनी लगभग आधी क्षमता पर काम कर रहा इलाहाबाद हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें भेजने में सबसे पीछे है। केंद्र सरकार ने कहा कि इस हाईकोर्ट से उसे 2007 में बनी रिक्तियां भरने के लिए सिफारिशें इस वर्ष फरवरी और जुलाई में मिली हैं। क्या इसे सरकार की देरी कहा जाएगा। 1 सितंबर तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में 83 रिक्तियां बनी हुई हैं। इसकी स्वीकृत क्षमता 160 है। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यदि आप रेस देर से शुरू करेंगे तो देर से गंतव्य पर पहुंचेंगे। क्या जुलाई में मिलने वाली सिफारिशों पर देरी के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। एमओपी (नियुक्ति प्रक्रिया ज्ञापन) के अनुसार सिफारिशों को क्लीयर करने के लिए छह माह का वक्त तय है। उन्होंने कहा नियमानुसार रिक्ति सृजित होने से छह माह पहले उन्हें भरने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। मगर हर हाईकोर्ट से हमें रिक्तियां बनने के पांच-छह साल बाद सिफारिशें मिलती हैं। इनमें सबसे पीछे इलाहाबाद हाईकोर्ट है। रोहतगी ने कहा कि हालांकि वह किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ के समक्ष रोहतगी ने कहा कि सरकार की ओर से कहीं कोई रुकावट नहीं है। सरकार नियुक्तियों को क्लीयर करने पर काम कर रही है और कुछ दिनों में इस मामले में और प्रगति की उम्मीद है। अटार्नी ने सील कवर में सरकार द्वारा क्लीयर की गई नियुक्तियों का ब्योरा कोर्ट को सौंपा। उन्होंने कहा कि कोर्ट इसे ध्यान से पढ़े और फिर बताए कि हम कहां देर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले को 30 सितंबर को सुना जाए। तब तक आप पाएंगे कि इस मामले में और प्रगति हुई है। मुख्य न्यायाधीश के पूछने पर अटार्नी ने बताया कि केरल और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की नियुक्तियों को क्लीयर कर दिया गया। गौरतलब है गत माह सीजेआई ने सरकार को आडे़ हाथों लेते हुए कहा था कि सरकार कोलेजियम की सिफारिशों पर बैठी हुई है और जनवरी में की गई 74 सिफारिशों को अब तक क्लीयर नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा था कि यदि सरकार ने कार्रवाई नहीं कि तो उसे न्यायिक हस्तक्षेप करना पड़ेगा। कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में नियुक्तियों पर की गई कार्रवाई का चार्ट मांगा था। यह आदेश एक रिट याचिका पर दिया गया था जिसे एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने दायर की थी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने एक अन्य मंच से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडारोहण के समय भी सरकार की खिंचाई की थी। न्याय विभाग के अनुसार 1 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट में 3 और देश के 24 हाईकोर्टों में 485 रिक्तियां बनी हुई हैं। क्या है नियुक्ति जजों की प्रक्रिया हाईकोर्ट : हाईकोर्ट कोलेजियम जज बनाने के लिए नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजता है, इनमें वकील और वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी शामिल होते हैं। सरकार इन नामों की खुफिया जांच करवाती है और जांच के साथ सभी नाम सुप्रीम कोर्ट कोलजियम को भेजती है। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश तथा दो वरिष्ठ जजों का कोलेजियम इन नामों को मंजूरी देता है और फिर से उन्हें केंद्र सरकार को भेजता है। सरकार कोलेजियम से प्राप्त नामों को राष्ट्रपति को भेज देती है जहां से उनके लिए नियुक्ति वारंट जारी कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठ जजों का कोलेजियम जजों को सुप्रीम कोर्ट लाने के लिए सिफारिशें करता है, इन उम्मीदवारों में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा वरिष्ठ जज होते हैं। ये सिफारिशें सरकार को भेजी जाती हैं। सरकार खुफिया जांच व अपनी आपत्तियों के साथ इन्हें फिर से कोलेजियम को भेजती है। कोलेजियम सरकार को सरकार की आपत्तियों में यदि दम नजर आता है तो उन्हें मान लेती है और संशोधित सूची सरकार को भेजती है। सरकार उसे स्वीकार कर राष्ट्रपति को भेज देती है जहां से उनके लिए नियुक्ति वारंट जारी कर दिया जाता है। यही प्रक्रिया हाईकोर्ट के जजों के स्थानांतरण पर दोहराई जाती है। निचली अदालत इनमें न्यायिक अधिकारियों (उच्च न्यायिक सेवा और अधिनस्थ न्यायिक सेवा) की भर्ती पूर्णत: हाईकोर्ट के अधीन है। हाईकोर्ट स्वयं या यूपीएससी के जरिये इनकी नियुक्ति करता है। राज्य सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है।