इंडिया न्यूज़ सेंटर, लखनऊ। यूपी चुनावों के मद्देनजर जहां कांग्रेस किसानों को लुभाने के लिए राज्य में राहुल गांधी के नेतृत्व में किसान यात्रा निकाल रही है, वहीं बीजेपी ने भी यूपी में विभिन्न तबकों को लुभाने की कवायद शुरू कर दी है। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पूर्व यूपी के जुलाहा, बुनकर व कबीरपंथी समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए कबीर का भव्य स्मारक बनाने का फैसला किया है। भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय जल्द ही पूर्वी यूपी के मगहर में कबीरदास का स्मारक बनाने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यहां 15वीं सदी के संत कवि कबीरदास की मृत्यु हुई थी। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा 80 करोड़ की लागत से बनने वाले इस स्मारक के निमार्ण का ऐलान कर सकते हैं। हाल ही में मंत्रालय में हुई एक अहम मीटिंग में इस बारे में फैसला लिया गया। बताया जाता है कि काशी व उसके आसपास बसे कबीरपंथियों के नुमाइंदों ने संस्कृति मंत्री से मिलकर इस इलाके में कबीर से जुड़ा स्मारक बनाए जाने की मांग की थी। गौरतलब है कि कबीर जीवन भर काशी में रहेे, लेकिन अपने अंतिम समय में वह मगहर चले गए थे। अपने पूरे जीवन छुआछूत, कट्टरपंथ, अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के खिलाफ लड़ते रहे कबीर ने अपने जाने के लिए मगहर को भी सोच समझकर चुना। भारतीय संस्कृति में माना जाता है कि काशी में मरने से व्यक्ति को स्वर्ग मिलता है, जबकि मगहर में मरना अच्छा नहीं माना जाता। कहते हैं कि समाज में फैले अंधविश्वास पर चोट करने के लिए ही उन्होंने महगर मेें मरने का फैसला किया। मगहर फिलहाल यूपी के संत कबीरनगर जिले में आता है और यह गोरखपुर से 28 किलोमीटर दूर है। उल्लेखनीय है कि जहां पूर्वांचल में बुनकरों- जुलाहों और कबीरपंथियों की खासी आबादी है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी सरकार ने इसे ध्यान में रखकर ही चुनाव से पहले यहां स्मारक का ऐलान करने का फैसला किया है। दरअसल, जुलाहों व कबीरपंथियों में हिंदु व मुसलमान दोनों ही तबके के लोग हैं, ऐसे में बीजेपी कबीर के नाम पर इन्हें अपनी ओर खींचने की योजना बना रही है। वहीं बीजेपी द्वारा कबीर का सहारा लेने में पीछे एक वजह पार्टी की बनी सांप्रदायिक इमेज भी मानी जा रही है। दरअसल, भारतीय समाज में कबीर को एक ऐसे धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है, जिन्हें मानने वाले हिंदु व मुसलमान दोनों ही रहे हैं। कबीर हमेशा सामाजिक सौहार्द का प्रतीक भी रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार की योजना है कि कबीर जैसे शख्सियत के बहाने जहां अपनी सांप्रदायिक छवि को सुधारने की कोशिश की जाए, वहीं दूसरी ओर उसे पूर्वाचंल में कबीर को मानने वालों के रूप में उसे एक वोट बैंक मिल जाए। संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मगहर में एक भव्य स्मारक बनेगा। जहां संत कबीर से जुड़ा तमाम साहित्य उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनके जीवन के तमाम पक्षाें को दिखाने वाला एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा। कबीर के जीवन व कामों को दर्शाने के लिए लाइट एंड साउंड प्रोग्राम की भी व्यवस्था होगी। यहां एक लाइब्रेरी व गेस्ट हाउज भी बनाया जाएगा। सरकार की योजना है कि इस स्मारक में कबीर का साहित्य हिंदी में उपलब्ध होने के साथ ही विभिन्न भाषाओं में उनके साहित्य के अनुवाद को भी उपलब्ध कराया जाए। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार की योजना इस जगह को एक यूपी के एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने की है, ताकि देश दुनिया से जुड़े लोग कबीर को जानें। इसके लिए सरकार इसकी की कनेक्टिविटी को भी सुधारने की योजना बना रही है। यहां तक पहुंचने के लिए 4 लेन की सड़क तैयार कराने की बात की जा रही है।