CABINET SUB-COMMITTEE ON MINING TO SUBMIT REPORT WITHIN FORTNIGHT: NAVJOT SINGH SIDHU
· LACUNAE IN PREVIOUS POLICY TO BE WEEDED OUT
· INSTRUCTS OFFICIALS TO BRACE UP FOR EFFECTIVE IMPLEMENTATION OF PROPOSED MINING POLICY
· PRESIDES OVER MEETING WITH ALL STAKEHOLDERS OF MINING SECTOR
पुरानी नीति की कमियों को किया जायेगा दूर
नई प्रस्तावति नीति को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए अधिकारियों को कमर कसने के लिए कहा
कैबनिट सब कमेटी की मीटिंग ने संबंधित पक्षों के सुझाव लिए
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़: मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार राज्य में अवैध खनन पर पूर्ण तौर पर काबू पाने और राज्य निवासियों के हकों की सुरक्षा करती हुई व्यापक खनन नीति बना रही है जिससे पुरानी नीति की कमियों को दूर किया जायेगा। खनन संबंधी कैबिनेट सब कमेटी अपनी रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर कैबिनेट को सौंपेगी। यह खुलासा स्थानीय निकाय मंत्री और खनन संबंधी बनी कैबिनेट सब कमेटी के प्रमुख स. नवजोत सिंह सिद्धू ने आज यहां कमेटी और खनन से जुड़ी संबंधित सरकारी और प्राईवेट पक्षों के साथ मीटिंग के उपरांत कही। कैबिनेट सब कमेटी के मैंबर वित्त मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल और ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री स. तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा भी उपस्थित थे। कैबिनेट सब कमेटी ने आज पंजाब भवन में दो मीटिंगेंं की। पहली मीटिंग में मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, प्रमुख सचिव खनन और भू -विज्ञान श्री जसपाल सिंह, प्रमुख सचिव उद्योग और वाणिज्य श्री राकेश वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह, डायरैक्टर कम सचिव खनन श्री कुमार राहुल और सचिव पंजाब मंडी बोर्ड श्री अमित ढाका उपस्थित हुए। स. सिद्धू ने कहा कि मुख्यमंत्री की तरफ से एक महीने में सब कमेटी से रिपोर्ट मांगी गई थी और उनकी कमेटी इस पर पूरी गंभीरता से काम कर रही है और नयी नीति बनाने के लिए 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपी जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों की बातचीत सुनकर नयी नीति को बनाते सभी सुझावों को विचारा जायेगा। उन्होंने कहा कि यह नयी नीति भारत सरकार द्वारा रेत खनन संबंधी मार्च में जारी दिशा निर्देश अनुसार तैयार की जा रही है जिसको अंतिम रूप देने से पहले वह ख़ुद इस संबंधी सोमवार को भारत सरकार के खनन मंत्रालय के अधिकारियों को मिलने जा रहे हैं और मंगलवार को कैबिनेट सब कमेटी की पुन: मीटिंग होगी। स. सिद्धू ने मीटिंग के दौरान विभाग के अधिकारियों को प्रस्तावित नयी खनन नीति को प्रभावशाली ढंग के साथ लागू करने के लिए कमर कसने को कहा। उन्होंने नयी प्रस्तावित नीति संबंधी बात करते हुये कहा कि ई -ट्रांसपोर्ट पर्मिट देने पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि बारकोडिंग के द्वारा प्रत्येक सूचना आनलाइन मुहैया होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जी.आई.एस. मैपिंग न होने के कारण रेत माफिया इसका नाजायज फ़ायदा उठाता है और पर्ची व्यवस्था होने के कारण निश्चित भाव, भार और तारीख नहीं होती। उन्होंने कहा कि नयी नीति में इस बात पर विचार किया जायेगा कि कोई भी ओवर -लोडिड ट्रक /टिप्पर सडक़ पर से न गुजऱे जिसके साथ समय से पहले खराब हो रही पंजाब की सडक़ों की समस्या भी हल हो जायेगी। उन्होंने सूबे में खड्डों के लिए एक जैसे नियम तय करने और उनको सख्ती के साथ लागू करने पर भी ज़ोर दिया। स. सिद्धू ने कहा कि आज की मीटिंग में खनन संबंधित विभिन्न राज्यों में चल रहे सफल मॉडलों की भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि तेलंगाना राज्य 2014 में अस्तित्व में आया और उस समय तेलंगाना क्षेत्र से खनन द्वारा 10 करोड़ रुपए की सरकार को आय होती थी। 2014 में तेलंगाना सूबा बनने के बाद सरकार ने खनन संबंधित निगम बना दिया और अब सरकार को 2015 -16 में 374 करोड़ रुपए, 2016-17 में 419 करोड़ रुपए की आमदन हुई और अब 2017 -18 में 1200 करोड़ रुपए आमदन का अनुमान है। इसी तरह हरियाणा जो कि पंजाब की अपेक्षा छोटा राज्य है और सिफऱ् एक दरिया बहता है, खनन के द्वारा 900 करोड़ रुपए कमाता है। उन्होंने कहा कि यदि खनन संबंधी प्रभावशाली नीति बनाकर साफ़ नीयत से लागू करे तो पंजाब खनन के द्वारा अधिक आय प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि कस्बों में रेत बेचने वालों की कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है और न ही कोई स्टॉक रजिस्टर मेनटेन किया जाता है। विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग के उपरांत सब कमेटी ने खनन से जुड़े ठेकेदारों, क्रैशरों के मालिकों के साथ मीटिंग करके उनके विचार सुने और सुझाव भी मांगे। ठेकेदारों ने कहा कि दो किस्म की बोली होती है एक तो रिवर्स और दूसरी प्रोग्रेसिव जिसको माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है। उन्होंने कहा कि एक ही तरह की बोली होनी चाहिए। उन्होंने यह भी ध्यान में लाये कि जिन खड्डों की बोली की गई है, उसमें मौजूद खनन की वैज्ञानिक तरीको के साथ उसकी मात्रा का पूरा पता नहीं लगा जिस के कारण उनको आशा अनुसार छोटे खनिजों की प्राप्ति नहीं हुई। उन्होंने कहा जिस जगह की उन्होंने बोली हासिल की होती है, उस जगह के मालिकों से इजाज़त न मिलने के कारण भी मुश्किलें आतीं हैं। ठेकेदरों में इस बात का भी रोष था कि खड्डों के लिए जाने का रास्ता भी नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि खड्डों की नीलामी से पहले सब कुछ चैक किया जाना चाहिए।मीटिंग के दौरान हिमाचल प्रदेश की करश्शर नीति की भी सराहना की जिस को सब कमेटी ने विचारने की बात भी कही। ठेकेदारों ने 18 मार्च, 2015 को जारी नोटिफिकेशन की आलोचना की जिसमें समतल करने का कोई मापदंड तय नहीं होने के कारण पंजाब में इस नोटिफिकेशन की आड़ में भू-संतुलन को बिगाड़ते हुये खड्डे गहरी कर दी। ठेकेदारों ने यह भी मांग रखी कि सरकार और उनके बीच कोई तालमेल नही है जिसपर यह फैसला लिया गया कि ठेकेदारों के साथ जिला स्तर पर हर माह और राज्य स्तर पर हर 6 महीने के बाद मीटिंग की जायेगी।