` चिट्ठी न कोई संदेश, न जाने कौन सा देस...

चिट्ठी न कोई संदेश, न जाने कौन सा देस...

आज ही के दिन हमें छोडक़र चले गए थे जगजीत सिंह share via Whatsapp

इंडिया न्यूज सेंटर, मुंबई: चिट्ठी न कोई संदेश न जाने कौन सा देस जहां तुम चले गए, ये गीत तो आपने सुना ही होगा। इस गीत को गाने वाली आवाज पांच साल पहले आज ही के दिन हमें छोडक़र चली गई। वो आवाज थी महान गजल गायक जगजीत सिंह जी की। ये गीत उन्होंने अपने बेटे की याद में गाया। इस गीत का हर लफ्ज अपने आप में एक अर्थ बयां करता है। जगजीत का बचपन बहुत ही अभाव में गुजरा। लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करने वाले जगजीत सिंह ने पूरी दुनिया में संगीत की लौ जलाई। राजस्थान के गंगानगर में जन्मे जगजीत सिंह के पिता सरदार अमर धमानी सरकारी कर्मचारी थे। जगजीत सिंह की शुरुआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई। बाद में पढऩे के लिए जालंधर गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन की। जगजीत सिंह को आज सभी उनकी गजल की वजह से जानत हैं लेकिन जगजीत सिंह के पिता चाहते थे कि वो ब्यूरोक्रेट बनें जबकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पिता चाहते थे जगजीत सिंह आईएएस बनें। इसके लिए बाकायदा जगजीत सिंह ने सिविल सर्विसेज की तैयारी भी की लेकिन गजल ने सिविल सर्विसेज की तैयारी बीच में छुड़वा दी। जगजीत सिंह ही वो शख्स हैं, जिन्होंने एल्बम की कमाई में से लिरिक्स लिखने वालों को हिस्सा देने का ट्रेंड शुरू किया। इससे पहले जो लोग गाने लिखा करत थे, उन्हें सिर्फ लिखने का पैसा दिया जाता था। एल्बम की कमाई में उनका कोई हिस्सा नहीं रहता था।  

आज ही के दिन हमें छोडक़र चले गए थे जगजीत सिंह

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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