इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्लीः टोल बूथों पर वाहनों के रुकने से हर साल अर्थव्यवस्था को सवा लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है। यही वजह है कि सरकार पूरे देश में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली को सुदृढ़ और सुगम बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन व्यवस्था की खामियों और ट्रांसपोर्टरों के असहयोग के कारण इस प्रक्रिया में विलंब हो रहा है। इससे आम वाहन चालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ वर्ष पहले आईआईएम- कोलकाता ने देश भर के टोल प्लाजा पर बर्बाद होने वाले समय को लेकर एक अध्ययन किया था. इसके अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित टोल प्लाजा पर वाहनों का काफी समय व ईंधन बर्बाद होता है। इससे वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी के अलावा माल के परिवहन में भी विलंब होता है। इसके कारण कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को सवा लाख करोड़ के सालाना नुकसान होता है। इस मसले पर पिछले साल नीति आयोग ने भी चिंता जताई थी। प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत एक प्रजेंटेशन में उसने कहा था कि भारतीय टोल प्लाजा और चेक प्वाइंट्स पर ट्रकों को औसतन 70 मिनट की रुकावट झेलनी पड़ती है जबकि विकसित देशों में यह समय पांच मिनट से ज्यादा नहीं है। यही वजह है कि जहां विकसित देशों में एक ट्रक रोजाना औसतन 700-800 किलोमीटर की दूरी तय करता है, वहीं भारत में ट्रक औसतन 300 किलोमीटर की दूरी ही कवर कर पाते हैं।