इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: नोटबंदी के फैसले से केंद्र सरकार ने अपने दो बड़े लक्ष्यों को साधने में काफी हद तक सफलता हासिल की है। इनमें से एक कालेधन को लेकर है तो दूसरी बड़ी सफलता आतंक पर रोकथाम है। दरअसल नोटबंदी के बाद आतंकवादियों को सीमापार से मिलने वाली भारतीय मुद्रा में जबरदस्त गिरावट आई है। इतना ही नहीं सीमा पार से लाए गए नकली नोटों के चलन पर भी काफी हद तक रोक लगी है। वहीं यदि जम्मू कश्मीर की बात की जाए तो वहां पर पैसे के नाम पर आतंकवाद को उकसाने वालों को नोटबंदी के चलते करारा झटका लगा है। नोटबंदी के बाद घाटी में होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं को तुरंत बंद हो जाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इन सभी का जिक्र सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर नोटबंदी का असर मुद्दे पर केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में किया है। जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद आतंकियों को मिलने वाला पैसा बंद हो गया है। वहीं कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए जो धन पहले दिया जा रहा था उसके बेकार हो जाने और नई मुद्रा न होने की वजह से वहां पर हिंसा भी रुक गई है। दिसंबर तक इसमें करीब 60 फीसद तक की कमी दर्ज की गई है। नोटबंदी के चलते अलगाववादी नेताओं की नीतियां धरी की धरी रह गई हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाला के जरिए होने वाली कालाबाजारी पर भी इस फैसले से रोक लगी है। नोटबंदी के बाद इसमें करीब 50 फीसद तक की गिरावट आई है। यही वजह है कि भारतीय बाजार में नकली नोटों को खपाने वाले आजकल परेशानी में हैं। सीमा पार पाकिस्तान से आने वाली नकली करंसी अब न के ही बराबर रह गई है। पाकिस्तान में इसका बड़ा कारोबार होता है। खासतौर पर क्वेटा और कराची में नकली भारतीय मुद्रा को छापने का काम बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस काम में लगे लोगों को अब अपनी दुकान नोटबंदी के चलते बंद करनी पड़ी है।