Farmers can also borrow from banks to buy machinery for proper maintenance of stubble: Chief Agricultural Officer
मशीनों की खरीद के लिए किया जा सकती है कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर फंड्ज का प्रयोग
इंडिया न्यूज सेंटर,जालंधरः धान की पराली के रख रखाव के लिए किसान अलग-अलग मशीनों की खरीद के लिए बैंकों से कर्ज़े की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं। यह जानकारी मुख्य कृषि अधिकारी, जालंधर डा. सुरिन्दर सिंह ने देते हुए बताया कि किसान या किसान ग्रुप किसी भी नैशनलाईज़ड बैंक से कर्ज़े पर मशीन प्राप्त कर सकते हैं और कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर स्कीम के तहत कृषि कर्ज़े पर बनते ब्याज पर 3 प्रतिशत की छूट भी प्राप्त कर सकते है।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों को कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर फंड्ज की सुविधा प्रदान की गई है, जिसके अनुसार किसानों को कृषि मशीन की खरीद के लिए जारी कर्ज़े की सुविधा पर 3 फीसदी के ब्याज की विशेष छूट भी मिल सकती है।
उन्होने बताया कि पिछले दिनों जालंधर ज़िले में क्रॉप रैज़ीड्यू मैनेजमेंट स्कीम के तहत 1850 किसानों, किसान ग्रुपों और पंचायतों आदि के ड्रा निकाले गए हैं, जिस में 850 सफल किसानों, किसान ग्रुपों आदि को 26 सितम्बर तक सम्बन्धित मशीनों की मशीन सूचीबद्ध डीलर्स से खरीदकर विभाग के पास बिल जमा करवाने के लिए कहा गया है ताकि विभागीय कर्मचारियों की तरफ से अपेक्षित वैरीफिकेशन के पश्चात सब्सिडी की बनती राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में डाली जा सके।
डा. सुरिन्दर सिंह ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की तरफ से राज्य में मशीन निरमाताओं की सूची स्वीकृत की गई है, जिसकी पूरी जानकारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कृषि विभाग और किसान भलाई विभाग की वैबसाईट व ब्लाक कृषि अधिकारी के दफ़्तर से प्राप्त की जा सकती है।
डा. सुरिन्दर सिंह ने बताया कि किसान कृषि सहायक धंधे अपनाने, प्रोसेसिंग आदि के कामों के लिए भी इस कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्ज में से कर्ज़ पर ब्याज में रियायत प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए बैंकों से तालमेल करते हुए सम्बन्धित विभागों से अपेक्षित प्रशिक्षण प्राप्त कर कृषि से सहायक धंधे शुरू कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी में विस्तार होगा।
उन्होने आखिर में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा धान की समग्र कटाई के लिए स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) से सुसज्जित कम्बाईनें ही चलाने के निर्देश दिए गए हैं, जिनका पालन करना लाजमी है। उन्होने ज़िले में सक्रिय सहकारी सभाओं, किसान ग्रुपों, कस्टम हायरिंग सैंटरों आदि को धान की पराली को जलने से रोकने के लिए ज़रूरी सेवाएं अपने इलाको के किसानों को मुहैया करवाने की अपील की ताकि पराली जलने से होने वाले प्रदूषण से वातावरण को बचाया जा सके।