` मुजफ्फरनगर-सुकमा के शहीद पर रोया निरगाजनी गांव

मुजफ्फरनगर-सुकमा के शहीद पर रोया निरगाजनी गांव

Nirjajani village on the martyr of Muzaffarnagar-Sukma share via Whatsapp

शहीद के परिवार को सांत्वना देने केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान प्रशासन के तमाम अधिकारी मौजूद थे


जिलाधीश व एसएसपी बबलू कुमार भी उपस्थित हुए

इंडिया न्यूज सेंटर,मुजफ्फरनगरः
सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद हुए जिला मुजफ्फरनगर के भाोपा के गांव में शहीद मजोज का पार्थिक शरीर के पहुंचने पर गावं में शोक की लहर दौड गई। भोपा के निरगाजनी गांव में गम और गुस्से का माहौल है। सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुए मनोज कुमार की मां को यकीन नहीं हो रहा कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। मां बेटे के गम में बार-बार बेहोश हो रही थी। उसने कहा कि अब  किसी और महिला की मांग का सिंदूर न उजड़े, इसके लिए सरकार को बयानबाजी बंद कर नक्सलियों और आतंकवाद का खात्मा करना चाहिए। मां बेटे के लिए रोती बिलखती रही। मनोज ही परिवार का सहारा था। मां राजेश बेटे की शादी के लिए सपने संजो रही थी, लेकिन यह कौन जानता था कि होनी को कुछ और ही मंजूर था। सुकमा हमले में शहीद हुए मनोज कुमार की शहादत ने परिवार को झकझोर दिया है। शहीद मनोज कुमार की मां रोते-रोते बार बार बेसुध हो जाती थी। पास बैठी महिलाएं पानी पिलाकर उन्हें सहारा दे रही थीं। इस दौरान अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने शहीद की मां राजेश को ढांढस बंधाया। राजेश ने कहा कि यह मनहूस दिन मुझे देखने को क्यों मजबूर होना पड़ा। मेरे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था। पहले मेरा सुहाग छीना अब नक्सलियों ने बेटा। राजेश कहती हैं कि किसी महिला की गोद न सूनी हो और महिला की मांग का सिंदूर न उजड़े, इसके लिए सरकार को बयानबाजी बंद कर नक्सलियों और आतंकवाद का खात्मा करना चाहिए।     
यहां आपको बता दें कि पिता कर्मचंद की हत्या के बाद परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। परिवार में आठ भाई-बहनों में मनोज तीसरे नंबर का था। उसके अलावा बड़ा भाई जोगेंद्र, रमेशचंद, ट्विंकल, बहन आरजू, भाई अंकित, जुड़वा बहनें पायल और पलक हैं। उसकी मां राजेश और बड़ा भाई जोगेंद्र मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पालन पोषण करते हैं। मनोज कुमार की सीआरपीएफ में नौकरी लगने के बाद परिवार को सहारा मिला था। वर्ष 2015 में छोटे भाई ट्विंकल की भी यूपी पुलिस में नौकरी लग गई। वह इन दिनों गाजियाबाद में ट्रेनिंग कर रहा है। अंकित हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहा है। बहन आरजू एमए कर रही है, तो वहीं जुड़वा बहनें पलक और पायल अभी आठ वर्ष की हैं, वह गांव के ही स्कूल में पढ़ती हैं। परिवार को देश पर प्राण न्योछावर करने का गर्व तो है, लेकिन साथ ही परिवार के शख्स के जाने का उतना ही गम भी है। परिवार को विश्वास नहीं हो रहा कि उनका लाडला मनोज अब इस दुनिया में नहीं है।

बहनोें से था काफी लगाव

मनोज अपनी छोटी जुड़वा बहनों से बहुत लगाव रखता था। दूसरी बहन आरजू को वह टीचर बनाना चाहता था। मां राजेश की आंखों में भी बेटे के लिए सपने थे। मां मनोज की शादी करने की तैयार कर रही थी। कई जगह रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मनोज पहले बड़े भाई और बहन की शादी करने की जिद करता था।    

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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