` यात्रियों की सुरक्षा ताक पर, दोनों फेडरेशनों की कठपुतली बना रेल मंत्रालय

यात्रियों की सुरक्षा ताक पर, दोनों फेडरेशनों की कठपुतली बना रेल मंत्रालय

Ministry of Railways, making the puppet of both federations, on the safety side of the passengers share via Whatsapp

विशेष रिर्पोट
मंत्रालय ने अपने ही आदेश को बदला तीन बार आखिर क्यों ?

अगर किसी ने न्यायालय का सहारा ले लिया तो मंत्रालय के लिए बन अपने ही आदेश लागू न करना गले की फांस बन सकता है


रजनीश शर्मा,जालंधरः रेल मंत्रालय रेलवे की दोनों फेडरेशनों की कठपुतली बना हुआ है। आलम यह है कि रेल मंत्रालय को अपने ही आदेशों को बार-बार फेडरेशनों के कहने पर बदलना पड़ रहा है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि रेल मंत्रालय के अधिकारियों व फेडरेशनों के नेताओं के साथ चोली दामन का साथ है। इस गठबंधन के चलते रेलवे यात्रियों की सुरक्षा से सीधे-सीधे खिलवाड़ किया जा रहा है। रेल मंत्रालय के पत्र संख्या नबंर-2017/E9LR)III/REF/RB/1 दिनांक-30 जनवरी 2017 के अनुसार  मंत्रालय ने यात्रियों की सुरक्षा के उपर बनाई गई हाई पावर कमेटी की रिकमेंडेशन के अनुसार रेलवे में हो रही दुर्घटनाओं के पीछे दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशनों के पधाधिकारी जो 4200 ग्रेड या उससे उपर की पदो पर कार्यरत कर्मचारियों की भुमिका होने के कारण दोनों फेडरेशनों को आदेश दिए गए कि 31 मार्च 2017 तक वह उक्त पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को सीघ्र यूनियन पद से मुक्त किया जाए। लेकिन दुर्भाग्य वश 31 मार्च तक सभी मंडलों से लिस्टें जाने के बाद भी कोई अमल नही हुआ है। मजे की बात तो यह है कि फेडरेशनों के कहने पर मंत्रालय में बैठे अधिकारियों ने 31 मार्च की तिथि को बढ़ाकर 30 जून 2017 कर दिया है। यही नही 23 जून 2017 को मंत्रालय द्वारा एक पत्र  नबंर-पुनः जारी करते हुए 31 मार्च 2017 की तिथि 31 दिसंबर 2017 कर दिया है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है। क्या भारतीय रेलवे में दुर्घटनाएं होनी बंद हो गई है। क्या भारतीय रेलवे कर्मचारियों ने काम करना शुरु कर दिया है। क्या रेल मंत्रालय ने दोनों फेडरेशनों के आगे घुटने टेक दिए है। या भारतीय रेलवे किसी बड़े घटना का इंतजार कर रही है। अगर रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होता तो 1अप्रैल 2017 को अमलीजामा पहना देता लेकिन दुर्भाग्यवश इस मामले में सरकार एवं अधिकारी दोनों ही गंभीर नही दिख रहे है। गौरतलब है कि इस समय उक्त पत्र का स्वागत रीढ़ की हड्डी मानी जाने वाली केटेगिरी ट्रैक मैन तथा टैक्नीकल एसोसिशन ने उक्त पत्र का स्वागत किया अपनी स्मर्था जाहिर की। इसके अलावा 4200 ग्रेड व उसके उपर कार्यरत इंजीनियर एसोसिशन ने भी अपनी स्मर्थन रेलवे को  दे चुके है। मजे की बात है कि रेल मंत्रालय हाई पावर कमेटी की रिर्पोट को लागू करने के मूड में नही दिखाई दे रहा है। अगर किसी ने न्यायालय का सहारा ले लिया तो मंंत्रालय को जबाब देना मुशकिल हो जाएगा।

Ministry of Railways, making the puppet of both federations, on the safety side of the passengers

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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