इंडिया न्यूज सेंटर, भोपालः भोपाल के महानगर को- आपरेटिव बैंक पर छापा मार कार्रवाई करने के बाद अब इनकम टैक्स विभाग की नजर सहकारिता क्षेत्र से जुड़े 70 बैंकों पर है। विभाग ने 40 बैंकों को तो नोटिस जारी कर उनसे नोटंबदी के बाद 31 दिसम्बर तक हुए लेन-देन का ब्यौरा मांगा है। इसके अलावा तीस अन्य बैंकों पर भी वह नजर बनाए हुए है। विभाग को इन बैंकों में भी नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में पुराने नोट जमा करने की जानकारी मिली है। सूत्रों की माने तो भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत कई शहरों में नोटबंदी के बाद बड़े पैमाने पर बैंकों ने पुराने नोट जमा किए है। इसके बाद विभाग ने 40 बैंकों से ब्यौरा मंगाया है। इसके अलावा इंदौर के 3 और ग्वालियर और जबलपुर के दो-दो बैंकों के डिटेल भी आयकर विभाग ने जुटाए हैं।
लंबी पूछताछ के बाद भी नहीं बताई काली कमाईः भाजपा नेता और राज्य सहकारी आवास संघ के पूर्व अध्यक्ष सुशील वासवानी और उनके बेटे लोकेश ने बुधवार को आयकर विभाग की लंबी पूछताछ में कई तथ्य स्वीकार किए हैं, लेकिन कोई काली कमाई सरेंडर नहीं की है। अब विभाग उसके दोनों भाईयों सुरेश और नरेश वासवानी से पूछताछ करेगा। इसी बीच सुशील वासवानी का गुरुवार को जिला भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पहुंचना चर्चा का केंद्र रहा। भाजपा ने अब तक इस छापे को लेकर वासवानी से कोई पूछताछ नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक वासवानी ने पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि निवेश और होटल व्यवसाय के खातों में उन्होंने पूरी आय नहीं दिखाई है। वासवानी के महानगर कोआपरेटिव बैंक में नोटबंदी के बाद जो सौ नए खाते खोले गए थे उनमें साठ से अधिक खाते बिना केवायसी के खोले गए है। इनमें से कई खातों में एक करोड़ से अधिक की राशि नोटबंदी के बाद जमा हुई है। इधर आयकर निदेशक अन्वेषण आरके पालीवाल का कहना है कि सुशील वासवानी ने अब तक कोई अघोषत आय सरेंडर नहीं की है। को-आॅपरेटिव बैंकों में कम निकली रकमः नई दिल्ली। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटबंदी के बाद को-आॅपरेटिव बैंकों का एक गड़बड़झाला पकड़ा है। इन बैंकों के बही-खातों में जो डिपॉजिट दिखाया गया है, उनके पास 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट उससे कम हैं।