इसरो की रिकार्ड सफलता की दुनिया भर में सराहना
वाशिंगटनः मंगलयान की महान कामयाबी के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो ने बुधवार को सफलता का जो परचम फहराया है उसे पूरी दुनिया आश्चर्य की दृष्टि से देख रही है। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी है। बहुत कम खर्च पर मंगलयान छोड़ने के बाद एक साथ 104 उपग्रहों की रिकॉर्ड लांचिंग करने वाले इसरो के कारनामे को पूरी दुनिया ने सराहा है। लेकिन दुनिया को यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि इसरो ने अपने सफर की शुरूआत साइकल और बैलगाड़ी से की थी। डॉ. विक्रम साराभाई द्वारा 15 अगस्त 1969 में इसरो की स्थापना की गई थी। तब देश के वैज्ञानिक पहला रॉकेट साइकल से प्रक्षेपण स्थल तक ले गए थे। दूसरा रॉकेट काफी भारी और बड़ा था इसलिए उसे बैलगाड़ी पर लादकर प्रक्षेपण स्थल तक ले जाया गया। उस वक्त नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया गया था। अमेरिकी मीडिया ने माना कि तब किसी को नहीं पता था कि आगे चलकर इसरो का हाथ थामना दुनिया के किसी भी देश के लिए आसान नहीं रह जाएगा। प्रसिद्ध अखबार ‘दि वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने रूस को मात दे दी है। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अंतरिक्ष के इस सफर को ‘सलाम इंडिया’ कहते हुए सराहना की। ‘सीएनएन’ ने कहा कि अब अमेरिका वर्सेस रूस को भूल जाइए क्योंकि मैदान में भारत आ चुका है। जर्मनी की प्रख्यात रेडियो सेवा ‘दाइचे वेले’ ने भारत द्वारा 104 सेटेलाइटों की लांचिंग के तुरंत बाद अपने समाचारों में कहा कि - ‘भारत ने बड़ा जोखिम उठाया है क्योंकि असफलता आलोचना का तूफान लेकर आती, लेकिन इसरो ने सफलता का इतिहास रचकर दुनिया के ताकतवर देशों को चुनौती दे दी है।’