` शिक्षा नीति 2020: स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक, किए गए कई बदलाव....

शिक्षा नीति 2020: स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक, किए गए कई बदलाव....

Education Policy 2020: Many changes made, from school to higher education share via Whatsapp

Education Policy 2020: Many changes made, from school to higher education

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को मंजूरी के साथ ही एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ है कि  मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई महत्पूर्ण बदलाव किए गए हैं।


न्यूज डेस्क, नई दिल्लीः
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था। इस दौरान ही निशंक ने मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। नई शिक्षा नीति के मसौदे को विभिन्न पक्षकारों की राय के लिए सार्वजनिक किया गया था और मंत्रालय को इस पर दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।
1986 में तैयार हुई थी वर्तमान शिक्षा नीति
गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार किया। इस समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तब किया था जब मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी के पास था।
राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन की होगी स्थापना
सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा के मानक समान रहेंगे। राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जाएगी जिसका उद्देश्य गुणवत्तापरक शोध को बढ़ावा देना होगा। शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक तकनीकी मंच (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी।
बुनियादी शिक्षा के लिए चलेगा राष्ट्रीय अभियान
शुरुआती शिक्षा यानि कि तीन से छह साल के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम एनसीईआरटी तैयार करेगी। छह से नौ साल के बच्चों के लिए (पहली से तीसरी कक्षा तक) राष्ट्रीय साक्षरता मिशन शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों में बुनियादी साक्षरता और अंकों की समझ विकसित करना है। अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों को मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। कक्षा छह के बाद से पेशेवर (वोकेशनल) गतिविधियों पर काम किया जाएगा।
पांचवीं कक्षा तक होगी मातृभाषा में पढ़ाई
नई शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को दिए जाने वाले दिशा-निर्देश मातृभाषा या क्षेत्रीय/स्थानीय भाषा में होंगे। इसे आठवीं या इससे ऊपर की कक्षाओं के लिए भी लागू किया जा सकता है। यह फैसला बच्चों की रुचि उनकी मातृभाषा में जगाने के लिए किया गया है। बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा परिणाम में बड़ी संख्या में छात्र हिंदी विषय में फेल हो गए थे।
संस्कृत और विदेशी भाषाएं भी पढ़ाई जाएंगी
इसके साथ ही सभी स्तरों पर संस्कृत और माध्यमिक स्तर पर विदेशी भाषाएं भी प्रस्तावित की जाएंगी। हालांकि, नीति में यह साफ किया गया है कि बच्चों पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी। बता दें कि पिछले साल जून में इस मुद्दे पर खासा विवाद हुआ था। दक्षिण के राज्यों ने इस पर विरोध करते हुए कहा था कि वहां के स्कूलों में बच्चों को हिंदी पढ़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
छठी कक्षा से बच्चों को सिखाई जाएगी कोडिंग
स्कूली शिक्षा के लिए खास पाठ्यक्रम 5+3+3+4 लागू किया गया है। इसके तहत तीन से छह साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी बुनियादी साक्षरता और अंक ज्ञान को बढ़ाया जा सके। इसके बाद माध्यमिक स्कूल यानि 6-8 कक्षा में विषयों से परिचय कराया जाएगा। भौतिकी के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी। कक्षा छह से ही बच्चों को सॉफ्टवेयर कोडिंग सिखाई जाएगी।
राष्ट्रीय आकलन केंद्र 'परख' की होगी स्थापना
छात्रों के समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान के विश्लेषण के लिए एक नए राष्ट्रीय आकलन केंद्र 'परख' की स्थापना की जाएगी। इसे एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा राष्ट्रीय पेशेवर मानक (एनपीएसटी) साल 2022 तक विकसित किया जाएगा।
उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प
उच्च शिक्षा में अब मल्टीपल इंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) का विकल्प दिया जाएगा। यानि 12वीं के बाद विद्यार्थियों के सामने कई विकल्प होंगे। तीन और चार वर्षीय पाठ्यक्रम होंगे। इसमें प्रवेश की प्रक्रिया और लचीला बनाया जाएगा। विद्यार्थी कई स्तरों पर इसमें प्रवेश ले सकेंगे या बीच में पढ़ाई छूटने पर अन्य विकल्पों की तरफ बढ़ सकेंगे।

जो शोध के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं। इसके लिए एम.फिल. की जरूरत नहीं होगी। अब कॉलेजों को स्वीकार्यता अथवा प्रमाणन (एक्रेडिटेशन) के आधार पर स्वायत्ता दी जाएगी। उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक (रेग्यूलेटर) रहेगा। अभी यूजीसी, एआईसीटीई शामिल हैं। हालांकि इसमें कानूनी और चिकित्सा शिक्षा ( लीगल एवं मेडिकल एजुकेशन) को शामिल नहीं किया जाएगा।

Education Policy 2020: Many changes made, from school to higher education

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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