SC dismisses bail pleas of contractor Gurinder Singh, Chief engineer Harwinder Singh involved in Irrigation scam
(Directs accused to surrender within one week)
(दोषियों को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के निर्देश)
इंडिया न्यूज सेंटर,चण्डीगढ़: पंजाब के सिंचाई विभाग में हुए बड़े घोटालो के संबंध में आज सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी ठेकेदार गुरिंदर सिंह और सेवानिवृत मुख्य अभियंता हरविंदर सिंह की अग्रिम ज़मानत की याचिका को ख़ारिज करते हुये दोनों आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंधी जानकारी देते हुये विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि सिंचाई विभाग में बीते समय के दौरान टैंडर अलॉट करने में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए ब्यूरो द्वारा भ्रष्टाचार निषेध कानून की धारा 13 (1) डी और 13 (2) सहित आई.पी.सी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 477-ए और 120-बी अधीन गुरिंदर सिंह ठेकेदार और सिंचाई विभाग के तीन सेवानिवृत मुख्य इंजीनियरों परमजीत सिंह घुम्मन, हरविंदर सिंह, गुरदेव सिंह सहित सेवानिवृत एस.डी.ओ कमिंदर सिंह दयोल, ऐक्सियन बजरंग लाल सिंगला और विमल कुमार शर्मा सुपरवाईजर के विरूद्ध सरकारी पदों का दुरुपयोग करके गुरिंदर सिंह के साथ मिलीभगत करके गैरकानून्नी ढंग से राज्य सरकार को बड़ा वित्तीय नुकसान पहुंचाने के दोष अधीन विजिलेंस ब्यूरो, फलाईंग स्कवॉड -1, एस.ए.एस नगर स्थित थाने में केस दर्ज है।जि़क्रयोग्य है कि इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और मोहाली की मुकदमा अदालत भी ठेकेदार गुरिंदर सिंह और अन्यों की अग्रिम ज़मानत की अर्जी को पहले ही ख़ारिज कर चुकी है। अब इन दोषियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम ज़मानत के लिए अर्जी दाखि़ल की गई थी जिस पर आज सुनवाई के पश्चात सुप्रीम कोर्ट द्वारा ठेकेदार गुरिंदर सिंह और सेवानिवृत मुख्य इंजीनियर हरविंदर सिंह की अग्रिम ज़मानत की अर्जी को ख़ारिज करते हुये दोनों को एक सप्ताह के भीतर समर्पण करने के निर्देश जारी किये हैं। सिंचाई विभाग में घोटालों संबधी और जानकारी देते हुये प्रवक्ता ने बताया कि विजिलेंस की तरफ से सिंचाई विभाग पंजाब के ड्रेनेज और कंडी एरिया विंग द्वारा ई -टैंडरों के द्वारा अलॉट किये कई कार्यों के ठेकों की जांच-पड़ताल दौरान यह सिद्ध हुआ है कि विभाग के सीनियर अफसरों ने बीते समय के दौरान एक ही ठेकेदार गुरिंदर सिंह को विभाग के कुल कार्यो में कीमत अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक कार्य में नियमों एवं शर्ताे की अनदेखी करके कार्य अलॉट किये थे। प्रवक्ता ने बताया कि उक्त आधिकारियों ने मिलीभगत से गुरिंदर सिंह को ठेके अलॉट करते समय बहुत सी कार्यों के दौरान कई कार्यो को जोडक़र मन मुताबिक टैंडर बनाकर इस कंपनी को अधिक दरों पर कार्यो के ठेके अलॉट किये गए। विजिलेंस ब्यूरो ने अदालत में बहस के दौरान कहा कि गुरिंदर सिंह और विभाग के अधिकारी विजिलेंस को जांच दौरान सहयोग नहीं कर रहे और इन सभी का इरादा केवल चल रही जांच में रुकावट डालना है जिससे तथ्यों और सच्चाई को दबाया जा सके। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उक्त दोषियों की अग्रिम ज़मानत से संबंधित पटीशनों में कोई तथ्य न होने पर इनको ख़ारिज कर दिया। प्रवक्ता ने बताया कि विजिलेंस ब्यूरो द्वारा इन घोटालों में शामिल छह आरोपियों के गिरफ़्तारी वारंट मोहाली की अदालत से पहले ही हासिल किये जा चुके हैं जिससे दोषियों को गिरफ़्तार करके इसकी पड़ताल जल्द पूरी की जा सके। उन्होंने बताया कि इस बहु-करोड़ीय घुटाले की हर पक्ष से जांच करने के लिए सिंचाई विभाग से और रिकार्ड की भी मांग की गई है।