पठानकोट, जितेन्द्र शर्माः भारत माता की अस्मिता एवं गौरव की रक्षा करते हुए राष्ट्र की बलिवेदी पर देश के अनेकों रणबांकुरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर शहादत के जाम पीए हैं। पठानकोट की वीरभूमि को तो वैसे भी शहीदों की जन्म स्थली होने का गौरव प्राप्त है। इसी महान धरती की बलिदानी मिट्टी ने रचा पला बांका जवान सिपाही मक्खन सिंह, जोकि 15 वर्ष पहले जम्मू कश्मीर की वादियों में अपनी कत्र्तव्यपरायणता का परिचय देता हुआ शहीद हो गया। इस वीर योद्धा के जीवन वृत्तांतों संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि इस वीर सैनिक का जन्म 15 नवम्बर 1979 को पिता हंस राज व माता लाज कौर के घर हुआ। इन्होंने 12वीं तक की शिक्षा सरकारी सीनीयर सैकन्डरी स्कूल से प्राप्त की। बचपन में ही यह देश भक्ति की बातें किया करते थे तथा स्कूल के कार्यक्रमों में भी वह हमेशा सैनिक की भूमिका निभाया करते थे। दिल में देश भक्ति का जज्बा लिए यह तीन जुलाई 1999 को भारतीय सेना की 4 सिख एल.आई युनिट में भर्ती होकर देश सेवा में जुट गए। तीन वर्ष के सेवा काल के दौरान यह ज्यादातर जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में ही रहे। 14 जनवरी 2002 को यह श्रीनगर के नौगांव क्षेत्र की राधा पोस्ट पर तैनात थे, कि इन्हें इस स्थान पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली। तो यह अपने साथियों सहित तालाशी अभियान पर जा रहे थे तो इनकी मुठभेड़ आतंकियों से हो गई। दोनों ओर से भीषण गोलबारी शुरू हो गई, इसी बीच दुश्मन की एक गोली इनके सीने को भेदते हुए निकल गई। जिससे 23 वर्षीय यह वीर जवान शहादत का जाम पी गया। शहीद होने से एक महीना पहले यह घर आए थे, तो मां ने कहा बेटे कश्मीर में खतरा है अपना ध्यान रखना, तो मक्खन सिंह ने कहा कि मां जिस दिन से यह वर्दी पहनी है, यह जिन्दगी देश की अमानत है व मुझे फख्र होगा कि यह जीवन देशहित के काम आ सके। अखिर में इनके द्वारा कहीं गई बाते सच साबित हुई। घर पर मां बेटे की शादी के सपने संजो रही थी मगर बेटा तिरंगे में लिपटा हुआ घर पहुंचा। कुंवर विक्की ने बताया कि इस जांबाज की शहादत को नमन करने के लिए 14 जनवरी को शहीद के नाम पर बने सरकारी गल्र्ज सीनीयर सैकंडरी स्कूल पठानकोट में एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है।