Rahul GANDHI'S got super power in Congress SESSION, CWC will be decided by Rahul Gandhi's wish
इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी ने सर्वसम्मति से अागामी पीएम उम्मीदवार के लिए स्वीकार कर लिया है। रविवार को कांग्रेस अधिवेशन के आखिरी दिन पीसीसी डेलिगेट और एआईसीसी के सदस्यों ने ये मान लिया है कि कार्यसमिति को लेकर राहुल का फैसला ही सर्वमान्य होगा। यानी कार्यसमिति के सदस्यों के चुनने के अधिकार पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को दिए जाने वाले प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है। कार्यसमिति में कांग्रेस अध्यक्ष समेत कुल 25 सदस्य होते हैं। इनमें 12 सदस्य मनोनीत होते हैं और 12 का चुनाव होता है। राहुल गांधी अब 24 सदस्य मनोनीत करेंगे। इस तरह 12 कार्यसमिति के सदस्यों के लिए चुनाव नहीं कराए जाएंगे, ये राहुल पर डिपेंड करेगा की उनकी टीम में कौन-कौन शामिल होगा।
पार्टी आमतौर पर ये मूड बना चुकी है कि मोदी सरकार से टकराने के लिए उन्हें राहुल की रणनीति को अपनाना होगा। पहले से ही पार्टी के भीतर ये आवाज मजबूत हो रही थी कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों का चयन राहुल की मर्जी से हो। तो अधिवेशन में इसकी आधिकारिक घोषणा भी हो गई। कांग्रेस की कार्यसमिति ही किसी फैसले को अंतिम रूप देती है। आमतौर पर कांग्रेसी नेताओं के मन में यहां जगह बनाने की इच्छा है। आने वाले चुनाव की तैयारी में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में कार्यसमिति जल्दी गठित करना और रणनीतिक काम जल्द से जल्द शुरू करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। देखने वाली बात ये है कि राहुल की मर्जी से तय होने वाले वो 24 नाम कौन-कौन से होंगे जिससे कांग्रेस मोदी सरकार को टक्कर देगी। कांग्रेस कार्यसमिति के चयन पर पार्टी चुनावी प्रक्रिया को अपनी शान समझती थी। लेकिन ऐसे में जब पार्टी की कमान युवा हाथों में है राहुल खुद चाहते हैं कि उन्हें तौर-तरीके बदलने होंगे। वैसे पार्टी में अगर कार्यसमिति को लेकर एक राय बन पाई है तो ये अच्छे संकेत हैं। बाकी कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह तो ये कहते भी सुने गए थे कि -‘बीजेपी में तो चुनावी प्रक्रिया ही नहीं होती, उस पर मीडिया चुप रहता है, जबकि कांग्रेस में तो बाकायदा लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होता है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में भी सबके सामने हुआ और आगे भी होगा।’इन बातों से कहीं न कहीं कांग्रेस को ये डर भी सता रहा है कि कहीं मीडिया में उनके इस नए तौर-तरीकों पर कोई सवाल न उठ जाए। क्योंकि पार्टी अपने बुरे दौर में हो या न हो, हर कोई जल्द ही सत्ता में लौटना चाहता है। राहुल के नाम पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस जानती है कि अगर राहुल के नाम पर पार्टी के अंदर कोई भी ना-नुकुर की स्थिति पैदा हुई तो ये एक बड़ा खतरा पैदा कर देगी।