Judge of the Supreme Court given justice in Unnao case - Decision in 45 days
पीड़िता के परिवार को CRPF की सुरक्षा दी जाएगी, साथ ही साथ वकील को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी
उत्तर प्रदेश की सरकार को आदेश दिया गया है कि वह पीड़िता को 25 लाख रुपये शुक्रवार तक दे।
नेशनल डेस्कः सर्वोच्य न्यायालय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले का ट्रायल 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है। सर्वोच्य न्यायालय के आदेश के साथ ही अब एक बार फिर से उन्नाव मामले में न्याय की उम्मीद जगी है। उन्नाव रेप केस में सर्वोच्य न्यायालय ने सख्ती बरती है। वीरवार को इस मामले की तीन बार सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले का ट्रायल 45 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से वीरवार को क्या-क्या फैसले लिए गए हैं। तीनों ही बार चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले को सुना, जिसमें पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट, उसे दिल्ली ट्रांसफर करने की स्थिति, सीबीआई से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा उस मामले में भी सख्ती दिखाई है, जिसमें पीड़िता की मां के द्वारा लिखी गई चिट्ठी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई तक नहीं पहुंची थी। चीफ जस्टिस ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर काफी दिनों पहले लिखी गई चिट्ठी उन तक क्यों नहीं पहुंची थी।अदालत में जिस वक्त इस मसले की सुनवाई हो रही थी, तब सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि अदालत में रजिस्ट्री के पास हर महीने 6000 से अधिक चिट्ठियां आती हैं, जुलाई महीने में चिट्ठियों की संख्या 6800 के करीब थी. पीड़िता का नाम पता नहीं होने की वजह से चिट्ठी में देरी हुई। हालांकि, मामला सामने आते ही खत CJI के सामने पेश कर दिया गया था।
-उन्नाव मामले से जुड़े सभी पांच केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर किए गए है।
- पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले की जांच सीबीआई को सात दिन में पूरी करनी होगी।
-पीड़िता के परिवार को CRPF की सुरक्षा दी जाएगी, साथ ही साथ वकील को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
-उत्तर प्रदेश की सरकार को आदेश दिया गया है कि वह पीड़िता को 25 लाख रुपये शुक्रवार तक दे।
-पीड़िता को अगर लखनऊ में इलाज नहीं मिल पा रहा तो उसे एम्स में शिफ्ट किया जा सकता है। अदालत ने परिवार से पूछकर पीड़िता के शिफ्ट करने पर फैसला लेने को कहा है।
-इस केस से जुड़े ट्रायल को 45 दिन में पूरा किया जाए।
-चीफ जस्टिस ने पूछा कि अगर पीड़िता के चाचा को जेल से शिफ्ट किया जाना है तो बताएं और रिपोर्ट दें।
-अगर पीड़िता को कोई भी शिकायत करनी हो तो वो सीधा सुप्रीम कोर्ट के पास आए।