` आइए आपको बताएं विश्व के अनूठे भवनों के बारे में
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आइए आपको बताएं विश्व के अनूठे भवनों के बारे में

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इस सृष्टि में जब से मानव की रचना हुई है। उसकी हर क्षेत्र में कुछ नया, अनूठा, विलक्षण करने या खोज करने की प्रवृत्ति ने उससे कई ऐसे काम करवा दिए जिन्हें देखकर कई बार वह खुद भी अचंभित हो जाता है। ऐसा ही एक कारनामा है मानव द्वारा निर्मित विश्व के अनूठे भवन जिन्हें देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख भवनों का संक्षिप्त विवरण यहां दिया जा रहा है।

1. द क्रुक्ड हाऊस

देखने में इस अजीबो-गरीब व अनूठे भवन का निर्माण सपोट, पोलैंड में जनवरी 2003 से दिसंबर 2003 के बीच किया गया और 2004 में इसे आम जनता के लिए खोला गया। भवन की रचना पोलैंड के विख्यात कलाकार तथा बाल पुस्तकों के रचयिता जैन मार्सिन सजैंजर तथा सपोट में रह रहे स्वीडिश कलाकार पेर डाहलबर्ग की तस्वीरों तथा पेंटिंगज से प्रेरित होकर पोलिश आॢकटैक्ट स्जोटिंस्की जैलस्की ने की थी। चार हजार वर्ग मीटर में फैला हुआ यह भवन सपोट, पोलैंड के रैजीडैंट शॉपिंग एरिया में स्थित है। इस भवन की असाधारण छत को शीट मैटल तथा ऐनामिल रूफ टाइल्ज से ढका गया है और उन्हें हरे, सी बल्यू व पर्शियन ब्लयू रंग से रंगा गया है जोकि ड्रैगन के आकार का आभास दिलाते हैं। इस भवन के भीतर कई पब और रैस्टोरैंट स्थित हैं जोकि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।

2. फौरेस्ट स्पायरल 

फौरेस्ट स्पायरल उर्फ हंडर्टवाजर हाऊस का निर्माण डामस्टॉड, जर्मनी में 1998 से 2000 के बीच किया गया। विख्यात ऑस्ट्रियाई आर्किटेक्ट तथा पेंटर फ्रैडिनसरिच हंडर्टवाजर जोकि क्रांतिकारी रंगीन आर्किटैक्चरल डिजाइनों, असाधारण, आर्गेनिक प्रकार व प्याज के आकार के डोम्ज के निर्माण के लिए जाने जाते हैं, ने इसका निर्माण किया। विशाल फौरेस्ट स्पायरल भवन के ऊपर असामान्य जंगल, बीच, नींबू के पेड़ तथा मैपल उगाए गए हैं। फौरेस्ट स्पायरल में 105 अपार्टमैंट और एक हजार खिड़कियां हैं। पंक्ति से बाहर निर्मित इन भवनों में से एक की भी खिडक़ी सही आकार में नहीं हैं बल्कि कई में तो पेड़ों की जड़ें और टहनियां उगी हुई हैं। भवन की सबसे ऊंची 12वीं मंजिल के ऊपर लकड़ी की स्पायरल (घुमावदार) छत पर चढ़ सकते हैं और वहां स्थित कैफे तथा बार में उपलब्ध पेय पदार्थों का आनंद ले सकते हैं। भवन के भीतरी हिस्सों में भी हंडर्टवाजर के डैविल टूल्स का नमूना देखा जा सकता है। इसकी छत के साथ मिलने वाले किनारे भी गोलकार हैं। फौरेस्ट स्पायरल भवन हंडर्टवाजर के प्रकृति प्रेम का जीता जागता नमूना है।

3. द टोर्र गलातिया फिगोरास 

कलाकार सैलवेडोर डाली का थिएटर एंड म्यूजियम है यह भवन, जोकि स्पेन के कलोटोनिया में स्थित उसके गृह नगर फिगोरस में स्थापित किया गया। आज जहां केंद्रीय म्यूजियम स्थित है वहां बाल्यावस्था में डाली वहां नाटक खेला करता था और जवानी के समय में एक बार वहां उसके चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। स्पैनिश गृह युद्ध के दौरान इस थिएटर पर बम बरसाये गये और बरसों तक यह खंडहर के रूप में ही रहा। दशकों बाद डाली तथा फिगोरस के मेयर के प्रयासों से इसका पुर्ननिर्माण किया गया और शहर के पुत्र के नाम से विख्यात डाली को 1960 में इसका म्यूजियम समर्पित किया गया। 1974 में इस म्यूजियम को दोबारा खोला गया और 198० तक इसका विस्तार होता रहा। इसमें डाली की सभी कलाकृतियों जिसमें पेंटिगज, मूर्तियां, यांत्रिक टूल्ज तथा बैठने के कमरे का सामान व डाली की अन्य काल्पनिक वस्तुओं को सजाया गया है। डाली के अलावा अन्य कलाकारों अल ग्रासो, मार्सल डूचैंम्प तथा एंटोनी पिटजॉट जिन्हें बाद में यहां का निदेशक नियुक्त किया गया की कलाकृतियों को भी इस म्यूजियम में स्थान दिया गया है।

4. फर्डिनैंड चावेल पैलेस यानि आइडियल पैलेस फ्रांस

इस पैलेस के निर्माण के पीछे एक रोचक व रोमांच से भरी हुई कहानी है। दक्षिण फ्रांस के एक छोटे से गांव हॉटरिवज में नियुक्तडाकिए (पोस्टमैन) फर्डिनैंड चावेल की 33 बरस की खून पसीने और आंसुओं से भरी कहानी छिपी हुई है। चावेल ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था किंतु उसका एक सपना था कि उसके पास एक महल हो इसी सपने के वशीभूत उसने इस महल (पैलेस) का निर्माण किया। फर्डिनैंड चावेल पैलेस का घेरा 32 किलोमीटर है। चावेल ने इसकी एक-एक ईंट एक-पत्थर अपने हाथों से लगाया। ऊबड़ खाबड़ रास्ते, मुश्किल और सीधी चढ़ाई वाले पथरीले क्षेत्र में निर्मित इस पैलेस की चारदीवारी बनाने में ही दो दशक लग गए। पहले दस बरस में चावेल एक ही रास्ते से आता जाता रहा और रात को पहाड़ी कंद्राओं और जान पहचान के लोगों के फार्म हाऊस में जल रही आग से अपने आप को गर्म रखकर चावेल ने दिन और रातें गुजारीं। उसने इसके निर्माण में किसी आर्किटैक्ट की सहायता नहीं ली 1879 में एक दिन एक पत्थर से फिसलकर चोटिल होने के बाद उसने ऐसे पत्थरों को पहले तो जेबों में भरकर लाना शुरू किया फिर टोकरियों में और फिर पहिए वाली गाड़ी में भरकर। उन्हीं पत्थरों से आकर्षक भवन निर्माण की मिसाल प्रस्तुत की। दस हजार दिन 93 हजार घंटे यानि 33 बरस की एक पोस्टमैन की अथक मेहनत के बाद यह पैलेस देखने को मिला। पैलेस के निर्माण के बाद भी चावेल आराम से नहीं बैठा उसने 78 वर्ष की आयु में इच्छा व्यक्त की उसे इस पैलेस में ही दफनाया जाए लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उसे इस बात की अनुमति प्रदान नहीं की और उसने एक अलग पैरिश समिट्री (कब्रिस्तान) का निर्माण किया। अपने सारे निर्माण पूरा होन के बीस महीने के बाद 19 अगस्त, 1924 को फर्डिनैंड चावेल का 88 वर्ष की आयु में हॉटरिवज में निधन हो गया। आज यह पैलेस दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

5. द बास्केट बिल्डिंग 

अमेरिका के ओहियो नगर में लोंगाबर्गर बास्केट कंपनी का कार्यालय विश्व में अपने आप में सबसे अनूठा भवन है। लोंगाबर्गर कंपनी टोकरियां बनाने के लिए मशहूर है। डेव लोंगाबर्गर ने कंपनी द्वारा बनाई जाने वाली टोकरी के आकार का भवन बनाने का निर्णय लिया। 1,80,000 वर्ग फुट के भवन को बनाने में दो साल का समय लगा और इसके निर्माण पर तीस मिलियन डॉलर खर्च आए। लोंगाबर्गर बिल्डिंग अपने आप में सचमुच आर्किटैक्चर का अद्भुत नमूना है। सात मंजिला भवन के निर्माण के पीछे लोंगाबर्गर कंपनी के संस्थापक डेव लोंगाबर्गर के दिमाग का कमाल है।

6. कंसास सिटी पब्लिक लाइब्रेरी 

अमेरिका के कंसास सिटी, मसूरी में स्थित यह भवन देखने में लाजवाब है। इसकी खासियत यह है कि इसके निर्माण के समय कंसास सिटी के लोगों से कहा गया कि वह असर डालने वाली ऐसी पुस्तकों को चयन करें जिनपर जिल्द चढ़ी हो, फिर उन पुस्तकों के आकार पर कंसास सिटी पब्लिक लाइब्रेरी का निर्माण किया गया। 1873 में स्थापित की गई इस लाइब्रेरी की अन्य शाखाएं भी हैं जिनमें से कंसास सिटी, इंडीपैंडेंस और शुगर क्रीक विख्यात हैं। इस लाइब्रेरी में कंसास सिटी का स्थानीय इतिहास, जिसमें असली दस्तावेज और प्रकाशित वस्तुएं, समाचार, आलेख, पोस्ट कार्डस, फोटोग्राफज, नक्शे और कंसास सिटी की पुरानी से नवीनतम डायरैक्टरियां भी शामिल हैं रखी गई हैं। इसके अलावा अफ्रीकन-अमरीकी इतिहास और संस्कृति पर भी बहुत कुछ सहेज कर रखा गया है।

7. वंडरवक्र्स

अमेरिका के पूर्वी टीएन में क्रिसमस के मौके पर सांता के साथ मिलकर स्थानीय लोग यहां वंडरवक्र्स एंड हॉटएन होलर डिनर शो के दौरान क्रिसमस को अलविदा कहते हैं और सांता को अगले वर्ष के लिए न्यौता देते हैं। हॉटएन होलर स्टाइल में हंसी मजाक और खुशी के साथ क्रिसमस मनाने के लिए यदि आपने मन बनाया है तो यहां आएं 21 नवंबर को ही 15 डॉलर का टिकट खरीद लें और यदि 2010 का क्रिसमस मनाने का मन बना रहे हैं तो 25 डॉलर का टिकट लेकर अभी से बुकिंग कर सकते हैं। मौज मस्ती और हंसी मजाक के साथ क्रिसमस मनाने के लिए यह स्थान उत्तम है और इस मंतव से इसे बनाया गया है। 

8. हैबिटैट 67

कनाडा के मांट्रियाल शहर में एक्सपो-67 का आयोजन किया गया और इसी समय इस क्यूब की रचना की गई। यह क्यूब मानवीय सभ्यता की स्थापना के समय के ज्ञान, सच्चाई और मानवीय मूल्यों का प्रतीक है। सलेटी-मटमैले 354 क्यूब्ज को एक दूसरे के ऊपर निर्मित किया गया है जिसमें 146 घर हैं और उन्हें जमीन और आसमान, शहर व नदी, हरियाली और रौशनी के बीच एक घौंसले की तरह बनाया गया है। एक्सपो-67 के दौरान यह भवन मांट्रियाल में आने वाले कई विशिष्ट मेहमानों का अस्थाई बसेरा था। आज इसकी छटा चारों ओर बिखरी हुई है और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

9. क्यूबिक हाऊसेज

नीदरलैंड के रोटरडैम शहर में पीट ब्लॉम ने 1970 में इन क्यूबिक घरों को निर्माण करना शुरू किया था। उसने एक जंगल का निर्माण किया और प्रत्येक क्यूब एक एबस्टै्रक्ट पेड़ का प्रतिनिधित्व करता है इस प्रकार पूरा गांव ही एक जंगल का रूप धारण कर गया। क्यूब में रिहायशी क्षेत्र बनाया गया जिसको तीन स्तरों में विभाजित किया गया। तिकोने आकार के निम्र स्तर में रिहायश बनाई गई। बीच के क्षेत्र में शयनकक्ष और बाथरूम बनाया गया। ऊपरी भाग को जोकि तिकोना क्षेत्र है को अतिरिक्त शयनकक्ष और रिहायश के रूप में विकसित किया गया। इस प्रकार अपनी अदभुत और अनूठी बनावट के कारण लोगों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

10. क्रेजी हाऊस

यह भवन वियतनाम के पूर्व राष्ट्रपति की पुत्री का है जिसने मास्को से आर्किटैक्चर की पढ़ाई की है। इसका कोई भी भाग आम भवनों की तरह निर्मित नहीं है। इसके आसामान्य मोड़, छतें और कमरे परियों के काल्पनिक महल की तरह लगते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के जानवर जैसे जिराफ, मकड़ी आदि देखने को मिल जाएंगे। इसको एक संग्रहालय की तरह देखा जा सकता है। इस अनूठे भवन की यात्रा के समय एलिस एंड वंडरलैंड का आभास होता है। इसकी कोई भी खिडक़ी आयाताकार या गोलाकार नहीं है। यहां का स्टाफ काफी मैत्रीपूर्ण रवैया रखता है और अंग्रेजी बोलता है। इस भवन को देखने वाला कोई भी यात्री यह महसूस नहीं कर सकता की इसे एक महिला ने डिजाइन किया है। इंसान की कुछ अनूठा, विलिक्षण और कुछ हटकर करने की जिद व आदत ने इन भवनों का निर्माण करवाया है, जिन्हें देखने वाले बरबस ही होंठों तले अंगुलियां दबाकर कह उठते हैं ऐसा भी होता है क्या।                                                 प्रस्तुति-विनसैन्ट फ्रैंक्लिन

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