सत्यम् शिवम् सुंदरम् ही पत्रकारिता का ध्येय वाक्य हो: डा. अग्निहोत्री
सकारात्मक पत्रकारिता ने मीडिया का छवि सुधारी : रेखा कालिया
इंडिया न्यूज सेंटर,जालंधरः अन्य विधाओं की तरह पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रयोगधर्मी होना मीडियाकर्मी का श्रेष्ठ गुण है परंतु स्मरण रहे कि इसके सत्य सनातन मूल्यों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। सत्यम् शिवम् सुंदरम् ही पत्रकारिता का ध्येय वाक्य है जिसका अर्थ है कि लेखन कार्य सत्य पर आधारित, शिव की भांति स्थाई व समाज के हित में और सुंदर हो। कोई भी रचना कितनी भी सुंदर या सत्य हो अगर वह समाज के हित में नहीं होगी तो व्यर्थ और अहितकारी होगी। यह विचार केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति व प्रख्यात लेखक डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने विश्व संवाद केंद्र की ओर से श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में स्थित विद्या धाम में नारद जयंती को समर्पित पत्रकारिता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर 'नए भारत में मीडिया की भूमिका' विषय पर आयोजित गोष्ठी में क्षेत्र के प्रख्यात पत्रकार, लेखक व बुद्धिजीवी एक छत के नीचे एकत्रित हुए और पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियों, नए अवसरों, वर्तमान स्थिति और समाधान पर चर्चा की। समारोह की अध्यक्षता डीएवी यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार श्रीमती रेखा कालिया भारद्वाज ने की। मुख्य वक्ता के रूप में समारोह में शामिल हुए डा. अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकारिता का क्षेत्र अब सीमित नहीं बल्कि सोशल मीडिया के आने के बाद इसका अत्यधिक विस्तार हो चुका है, लेकिन देखने में आरहा है कि नए युग के इस मीडिया के आगमन से पत्रकारिता के सनातन सिद्धांतों पर आंच आने लगी है। स्थापित पत्रकारों व मीडिया कर्मियों को इस क्षेत्र में सक्रिय हो कर न केवल जनसाधारण का पत्रकारिता में प्रशिक्षण व मार्गदर्शन करना होगा बल्कि साथ-साथ इसमें पत्रकारिता के मूल्यों की स्थापना भी करनी होगी। अपने संबोधन में डा. अग्निहोत्री ने कहा कि पत्रकारिता में यह सकारात्मक संकेत दिखाई देने लगे हैं कि युवा वर्ग इसकी ओर आकर्षित हो रहा है और इसे कैरियर के रूप में अपना रहा है। इस क्षेत्र में युवा खून के प्रवेश से पत्रकारिता के क्षेत्र में नए विचारों व नई विधाओं का भी आगमन होना स्वभाविक है परंतु यह ध्यान रखना होगा कि नवीनता के प्रयास में इसकी मौलिकता व नैतिक मूल्यों से छेड़छाड़ न हो। उन्होंने कहा कि अपना मजबूत सांस्कृति आधार होने के कारण यह विशेषता केवल भारत में ही पाई जाती है कि यह राष्ट्र जितना प्राचीन है उतना नवीन भी और इस नवीनता के क्रम में गति लाना मीडिया की एक विशेष जिम्मेवारी है। इससे पूर्व विश्व संवाद केंद्र के क्रियाकलापों की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख श्री रामगोपाल ने कहा कि जनसंचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय विचारों का मजबूत प्रतिनिधित्व करना, राष्ट्रवाद के समक्ष वैचारिक चुनौती का मुकाबला करना, लेखन के माध्यम से समस्याओं का समाधान पेश करना विश्व संवाद केंद्र का मुख्य कार्य है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि हिंदुत्व आज केवल इस देश की ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर चर्चा का केंद्र बिंदू बन चुका है। अपने मुख्य अतिथि व्याख्यान में डीएवी यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार श्रीमती रेखा कालिया भारद्वाज ने कहा कि सकारात्मक पत्रकारिता के चलते समाज में मीडिया की न केवल छवि सुधरी बल्कि इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है। टीवी चैनलों पर होने वाली चर्चाएं देश में नए बौद्धिक आंदोलन का सूत्रपात करती दिखाई दे रही हैं और विभिन्न विषयों को देखने का समाज का दृष्टिकोण और विस्तृत होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में यह केवल भारत में ही संभव हो पाया है कि इलेक्ट्रिॉनिक मीडिया की क्रांति के बावजूद समाचारपत्रों व पत्रिकाओं की प्रसार संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। इसका अर्थ है कि देश में पत्रकारिता और विस्तृत होती जा रही है और युवाओं के लिए नए अवसरों का सृजन हो रहा है। उन्होंने पत्रकारिता में व्यवसायिकता और नैतिक मूल्यों के बीच संतुलन पैदा करने की जरूरत जताई और कहा कि यह दोनो एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि पूरक हैं। व्यवसायिकता के बिना कोई संस्थान अपना अस्तित्व नहीं बचा पाएगा और मूल्यों के अभाव में उसका विस्तार नहीं हो पाएगा