Satyapal malik death news, Ex governor of Jammu and Kashmir death news
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उनका इलाज चल रहा था. वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. हालत, ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें 11 मई को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था. संयोग की बात है कि आज ही इस फैसले की छठी वर्षगांठ है और इसी दिन सत्यपाल मलिक ने अंतिम सांस ली.
वह अक्टूबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार के राज्यपाल रहे. उन्हें 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्य करने का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया. जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने के बाद सत्यपाल मलिक को गोवा का 18वां राज्यपाल नियुक्त किया गया. उन्होंने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया.
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24, जुलाई 1946 को एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की. वर्ष 1968-69 में, मेरठ विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए, जिससे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. राजनेता के रूप में उनका पहला प्रमुख कार्यकाल 1974-77 के दौरान उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में रहा. उन्होंने 1980 से 1986 और 1986-89 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. वह 1989 से 1991 तक जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से ग9नौवीं लोकसभा के सदस्य रहे.
लोकदल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए
सत्यपाल मलिका को 1980 में, चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले लोकदल ने राज्यसभा के लिए नामित किया. लेकिन 1984 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें 1986 में राज्यसभा भेजा. बोफोर्स घोटाले का खुलासा होने के बाद उन्होंने 1987 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और वी.पी. सिंह के साथ जुड़ गए. 1989 में, उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता और 1990 में, कुछ समय के लिए केंद्रीय संसदीय कार्य और पर्यटन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया.
मोदी समर्थक से उनके कट्टर आलोचक बने
जम्मू-कश्मीर से गोवा राजभवन भेजे जाने के बाद सत्यपाल मलिक के रुख में परिवर्तन देखा गया और वह मोदी समर्थक से उनके सबसे बड़े आलोचक बन गए. सत्यपाल मलिक ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि वह रालोद और समाजवादी पार्टी का समर्थन करेंगे. बागपत स्थित अपने गांव हिसावदा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था, 'मेरा सक्रिय राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि मैं रालोद और सपा के मार्गदर्शक के रूप में काम करना चाहता हूं और उन किसानों के कल्याण और अधिकारों के लिए लड़ना चाहता हूं, जो मोदी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों का शिकार हुए हैं.'