P.M Modi congratulated 99 years old fomer MLA for huge donation
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आहृवान के बाद प्रत्येक सोमवार को खाना नहीं खाने का भी प्रण लिया था, जिसका पालन वह आज तक कर रहे हैं।
ठुम्मर अक्सर अपने परिवार को बताते हैं कि मोदी एक बार उनके निवास पर मिलने आए थे
नेशनल न्यूज डेस्कः कहते दान देने वाले का पैसा नही देखा जाता है। देखा यह जाता है कि दान देने वाला कौन है और उसने क्या दान दिया है। जब लोग अपने जीवन के आखरी पड़ाव में होते है तो पैसे से मोह लगा लेते है। हम आपको बताते है कि महान दानवीर कौन है और क्हां से है। और इस दानवीर को प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर उनके द्वारा किए गए प्रशंसा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अपनी बचत दान करने वाले 99 साल के पूर्व विधायक रत्नभाई ठुम्मर को फोन कर उनके इस प्रयास की प्रशंसा की। पीएम मोदी ने करीब तीन मिनट तक उनसे फोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि वह एक बार जूनागढ़ जिले के बिल्खा शहर में ठुम्मर से मिलने आए थे। गुजरात सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक पीएम मोदी ने ठुम्मर से कहा, 'मैंने आपको बचत दान करने की वजह से फोन किया है। आप इस उम्र में भी अच्छा काम कर रहे हैं। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा।'
प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें वह मुलाकात याद है, तो ठुम्मर ने हां में जवाब दिया। पूर्व विधायक ठुम्मर अब ठीक से सुन नहीं सकते हैं। उनके रिश्तेदार ने बताया कि 99 वर्षीय ठुम्मर ने पीएम मोदी से कहा है कि वह अपनी पूरी ताकत के साथ इस वायरस से लड़ें। रिश्तेदारों ने यह भी बताया कि ठुम्मर अक्सर बताते हैं कि मोदी एक बार उनके निवास पर मिलने आए थे। उनके साथ गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला भी थे। रिश्तेदारों ने बताया कि ठुम्मर ने पीएम मोदी को बताया कि इस वायरस से लड़ने के लिए वह अपनी सारी बचत दान करने के लिए तैयार हैं। बीते 17 अप्रैल को वह जूनागढ़ जिला कलेक्टर के कार्यालय गए और उन्होंने राज्य सरकार को 51 हजार रुपये का चेक सौंपा। उस समय उन्होंने कहा था, 'मैंने इसलिए सरकार को दान देने का फैसला किया है क्योंकि इस उम्र में मैं शरीर से मदद नहीं कर सकता।' रत्नभाई ठुम्मर 1975 से 1980 के बीच जूनागढ़ में मेंदारा मानिया सीट से विधायक थे। कहा जाता है कि विधायक रहते हुए उन्होंने कभी भी वेतन नहीं लिया। यहां तक कि पूर्व विधायक होने के नाते वह पेंशन भी नहीं लेते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आहृवान के बाद प्रत्येक सोमवार को खाना नहीं खाने का भी प्रण लिया था, जिसका पालन वह आज तक कर रहे हैं।