Anna Hajare says, we should not want Rahul nor want Modi
इंडिया न्यूज सेंटर,आगराः जनलोकपाल के लिए आंदोलन की शुरुआत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार को ताजनगरी आगरा में फिर से हुंकार भरी है। यहां स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचे अन्ना ने सबोंधित करते हुए कहा कि अब जनलोकपाल के लिए निर्णायक लड़ाई शुरु होगी। इसी दौरान एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने उनके सामने पोस्टर लहराए। अन्ना हजारे मंगलवार को आगरा में किसानों की समस्या और जनलोकपाल मुद्दे पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान अन्ना हजारे ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत गए लेकिन कहां है वह लोकतंत्र जो जो लोगों का है। 22 साल में 12 लाख लोगों ने आत्महत्या की। लोग खाने के लिए जी रहे हैं। क्या-क्या खाएं इसलिए जी रहे हैं। अन्ना ने कहा कि 25 साल की उम्र में मैने आत्महत्या की सोच ली फिर विवेकानंद की किताब मिली और जिंदगी बदल गई। फिर मैंने गांव, समाज और देश की सेवा का संकल्प लिया। इसलिए मैंने व्रत लिया कि शादी नहीं करना है। 45 साल हो गए घर गए हुए। मेरे भाई के बच्चों का नाम क्या है मुझे पता नही। मेरे बैंक एकाउंट की किताब कहां रखी है मुझे पता नहीं। मंदिर में रहता हूं और सोने को बिस्तर व खाने को एक प्लेट है। लेकिन, जीवन में जो आनंद है वो लखपति करोड़पति के पास भी नहीं। प्रकृति का दोहन करके विकास नहीं विनाश होगा। ऐसा विकास शाश्वत नहीं। अन्ना हजारे ने अपने गांव की मिसाल दी और आर्थिक सामाजिक क्षेत्र में गांव में हुए परिवर्तन माल खाए मदारी और नाच करे बंदर। किसान की हालत ऐसी हो गई है कि किसान के पास झोपड़े नहीं और घर भर रहे हैं दूसरों के।
न मोदी चाहिए न राहुल
अन्ना ने कहा कि ये भी उद्योगपतियों की सरकार नहीं चाहिए। न मोदी चाहिए न राहुल। इन दोनों के दिमाग में उद्योगपति बसे हैं। हमें ये दोनों नहीं चाहिए। हमे ऐसी सरकार चाहिए जिसके दिमाग में उद्योगपति नहीं किसान हो। मनमोहन सरकार ने लोकपाल के ड्राफ्ट को कमजोर कर दिया। हर राज्यों में लोकायुक्त लाने के कानून बदल दिए। मनमोहन शरीफ लगते थे लेकिन उन्होंने ने भी गड़बड़ कर दी। बाद में मोदी सरकार धारा 44 में परिवर्तन कर दूसरा बिल ले आई जो और कमजोर हो गया। ऐसे में फिर आंदोलन की जरूरत है। यह आंदोलन 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू होगा।