ISRO 2025 first mission failed
न्यूज डेस्क, नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में अपना 100वां रॉकेट मिशन लॉन्च किया था, हालांकि इस इस इस मिशन को लेकर एक बुरी खबर आ रही है कि उसमें कुछ टेक्निकल समस्याओं को सामना किया जा रहा है. बुधवार को लॉन्च किया गया नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-02 तकनीकी खराबी की वजह से अपनी तय कक्षा में नहीं पहुंच सका. इसरो ने अपनी वेबसाइट पर अपडेट देते हुए बताया कि सैटेलाइट को निर्धारित जगह पर पहुंचाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा रही थी, उसमें समस्या आ गई।
क्या दिक्कत आई
ऑर्बिट बढ़ाने के लिए सैटेलाइट के इंजन में ऑक्सीडाइज़र पहुंचाने वाले वॉल्व नहीं खुल पाए, जिसकी वजह से इसकी ऊंचाई बढ़ गई और आगे होने वाली कार्रवाई में मुश्किलें पैदा हो गईं. यह सैटेलाइट यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के ज़रिए बनाया गया था और इसे जियोस्टेशनरी कक्षा में स्थापित किया जाना था. हालांकि इसके तरल ईंधन इंजन में आई खराबी की वजह से अब इसे निर्धारित कक्षा में भेजने में दिक्कत आ रही है.
साल का पहला मिशन था
बुधवार सुबह 6:23 बजे इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के जरिए एनवीएस-02 को कामयाबी के साथ लॉन्च किया था. यह मिशन इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन के लिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि उनके नेतृत्व में यह पहली लॉन्चिंग थी. यह इसरो का इस साल का पहला प्रमुख मिशन भी है. हालांकि अब तकनीकी खराबी की वजह से मिशन की कामयाबी संदेह के घेरे में आ गई है.
दूसरा विकल्प तलाश कर रहे वैज्ञानिक
बताया जा रहा है कि इसरो के वैज्ञानिक इस सैटेलाइट का कोई दूसरा इस्तेमाल खोजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इसे किसी न किसी तरह से जानकारी हासिल करने में उपयोग किया जा सके, क्योंकि अभी तक की जानकारी के अनुसार, जिस काम के लिए इसको भेजा था अब वो हो पाना मुमकिन नहीं है. इसरो के मुताबिक सैटेलाइट सुरक्षित है और वर्तमान में एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है.
भारत के अपने नेविगेशन सिस्टम में करता मजबूत
एनवीएस-02 सैटेलाइट का मकसद भारत के अपने नेविगेशन सिस्टम, नविक (NavIC) को मजबूत करना था. नविक, जिसे भारत ने 1999 के कारगिल जंग के बाद तैयार किया था, एक क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम है जो अमेरिका के जीपीएस (GPS) की तरह काम करता है. कारगिल जंग के दौरान भारत को अमेरिका से उच्च-स्तरीय जीपीएस डेटा नहीं मिल पाया था, जिसके बाद सरकार ने अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम तैयार करने का फैसला किया।