` राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की धमकी देकर साढ़े तीन करोड़ पंजाबियों की भावनाओं का अपमान किया-मुख्यमंत्री

राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की धमकी देकर साढ़े तीन करोड़ पंजाबियों की भावनाओं का अपमान किया-मुख्यमंत्री

Governor has humiliated 3.5 crore Punjabis by threatening President Rule share via Whatsapp

Governor has humiliated 3.5 crore Punjabis by threatening President Rule: CM


ऐसी धमकियों के आगे झुकने वाला नहीं हूँ, पंजाब के हितों की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करूँगा  


पंजाब धारा 356 का दुरुपयोग का सबसे अधिक पीड़ित, अमनपसंद लोगों के ज़ख्मों पर नमक छिडक़ने की कोशिश न करो  


आज़ादी के लिए महान बलिदान देने वाले और देश को अनाज के पक्ष से सुरक्षित बनाने वाले पंजाबियों की तौहीन करने का आपको कोई हक नहीं  


केंद्र सरकार के पास आर.डी.एफ., जी.एस.टी., किसान मसलों समेत पंजाब के लम्बित मुद्दों संबंधी राज्यपाल ने कभी चुप्पी नहीं तोड़ी  


राज्यपाल की चिट्ठियों का जवाब देने के लिए वचनबद्ध हैं परन्तु बाज़ू मरोडऩे की कोशिश करना दुर्भाग्यपूर्ण


इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़:  पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा राज्य में राष्ट्रपति राज लागू करने की सिफ़ारिश करने की धमकी भरी चिट्ठी को साढ़े तीन करोड़ पंजाबियों की तौहीन बताया है।  मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज कहा कि राज्यपाल ने देश की एकता और अखंडता के लिए बेमिसाल बलिदान देने और मुल्क को अनाज के पक्ष से आत्मनिर्भर बनाने वाले अमनपसंद और मेहनतकश पंजाबियों की भावनाओं को गहरी चोट पंहुचाई है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह ऐसी धमकियों के आगे झुकने वाले नहीं हैं, और पंजाब के हितों की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करूँगा।  

      आज यहाँ मीडिया के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सच तो राज्यपाल जानते हैं कि उन्होंने किसके दबाव में यह चिट्ठी लिखी है। परन्तु इस चिट्ठी की इबारत सीधे तौर पर पंजाबियों का अपमान करती है। क्योंकि लोकतंत्र पसंद पंजाबियों ने अभी डेढ़ साल पहले बड़ा जनादेश देकर सरकार चुनी है। 

उन्होंने कहा कि राज्यपाल को लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों को गद्दी से उतारने की धमकियाँ देने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक लोगों को अपनी मर्जी की सरकार चुनने का पूरा हक होता है। परन्तु केंद्र सरकार के इशारे पर देश में दिल्ली, पश्चिमी बंगाल, केरला, तामिलनाडु समेत अन्य ग़ैर-भाजपा सरकारों को वहाँ के राज्यपालों द्वारा काम नहीं करने दिया जा रहा।  

      भगवंत सिंह मान ने कहा, राज्यपाल ने धारा 356 के अंतर्गत पंजाब में राष्ट्रपति राज लागू करने की धमकी दी है, परन्तु देश में पंजाब ऐसा राज्य है जिसको धारा 356 के दुरुपयोग की क्षति सबसे अधिक भुगतनी पड़ी है। यह बड़े दुख की बात है कि बीते समय में केंद्र सरकारों की मनमानी और ज़ुल्म पंजाब ने अपनी पीठ पर भोगी है।  अब एक बार फिर केंद्र सरकार ने राज्यपाल के द्वारा पंजाब में लोकतांत्रिक नैतिक- मूल्यों को फिर से दरकिनार करने की कोशिश की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में राज्यपाल सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने के लिए साजिशें रच रहे हैं, जिस कारण उनकी सरकार को सत्ता से उतारने की धमकियाँ दे रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल को राजस्थान की आगामी विधान सभा चुनावों में अपनी किस्मत आज़माने की सलाह दी।  

      मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समय-समय पर राज्यपाल की चिट्ठियों का जवाब दे रहे हैं, और उनको अब तक 16 चिट्ठियां प्राप्त हुई हैं, जिसमें से 9 चिट्ठियों का जवाब दे चुके हैं और बाकी चिट्ठियों का जवाब जल्दी देंगे, परन्तु राज्यपाल द्वारा चुनी हुई सरकार के प्रमुख की बाज़ू मरोडऩे की कोशिश करना ग़ैर-संवैधानिक है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य के हित में पिछले डेढ़ साल में छह बिल विधान सभा में पास किए हैं, परन्तु राज्यपाल ने अभी तक इन बिलों को पास करने की बजाय ठंडे बस्ते में डाला हुआ है।  

 केंद्र सरकार के पास लम्बित पंजाब के मसलों संबंधी राज्यपाल द्वारा चुप साध लेने पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य का आर.डी.एफ., जी.एस.टी. का करोड़ों रुपए का बकाया रोका हुआ है। केंद्र सरकार पंजाब के किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं परन्तु कितनी हैरानी की बात है कि राज्य के राज्यपाल ने आज तक एक भी चिट्ठी पंजाब के मसलों के बारे में केंद्र सरकार को नहीं लिखी। 

उन्होंने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के साथ जोडऩे संबंधी हुई बैठक में भी पंजाब के राज्यपाल हरियाणा के हक में खड़े रहे, जिससे उनकी पंजाबियों के प्रति वफ़ादारी न होने का पता लगता है। इसी तरह चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर राज्यपाल ने चंडीगढ़ में तैनात पंजाब काडर के एस.एस.पी. को रातों-रात पद से उतार दिया और छह महीने इस पद से पंजाब को महरूम रखा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पड़ोसी राज्य हरियाणा के नूह में भडक़ी आग से बड़े स्तर पर हुए जान-माल के नुकसान के बारे में हरियाणा के राज्यपाल ने चुप्पी भी नहीं तोड़ी। यहाँ तक कि आग की भठ्ठी में झोंके गए राज्य मणिपुर के संवेदनशील हालातों के बारे में भी वहाँ के राज्यपाल ने कोई आपत्ति नहीं जताई, परन्तु पंजाब के राज्यपाल राज्य के लोगों के हक में लगातार प्रयास कर रही सरकार को गिराने की धमकियाँ दे रहे हैं।  

 भगवंत सिंह मान ने कहा, ‘‘यह कितनी हैरानी वाली बात है कि राज्य की सरकार लोगों को मुफ़्त बिजली, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और नौजवानों को रोजग़ार देने के एजंडे पर दिन-रात काम कर रही है और उस राज्य का राज्यपाल सरकार को गिराने की चालें चल रहे हैं।

 बाढ़ों के मुआवज़े संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य के लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार से प्रांतीय आपदा राहत कोष जिसमें 9600 करोड़ रुपए का फंड है, के नियमों में ढील देने के लिए कई बार माँग की गई है परन्तु अभी तक केंद्र ने सकारात्मक स्वीकृति नहीं दी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इस बारे में भी केंद्र सरकार के साथ बात करनी चाहिए।  

 

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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